हम कई दिनों से सुन रहे हैं कि पंजाब और हरियाणा सहित देश के किसान दिल्ली जा रहे हैं और सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। वे सरकार के खिलाफ बिल का विरोध कर रहे हैं। लेकिन अभी भी बहुत से लोग सोच रहे हैं कि यह बिल क्या है? और पंजाब और हरियाणा के
किसान विरोध क्यों कर रहे हैं?
तो नमस्ते, आपका HUNT NEWS UPDATE में स्वागत है।भारत देश एक कृषि प्रधान देश है। फिर भी आज के टाइम पे एग्रीकल्चर सेक्टर कम हो रहे है। भारत के एग्रीकल्चर सेक्टर में पूरे 42.7% लेबर involve है फिर GDP के सिर्फ 15.8% हिस्सा मिल रहा है। इतने ज्यादा लोग इस सेक्टर में काम रहे है फिर भी contribution में सिर्फ 15.8%…इस का कारण बाढ़ या बारिश नहीं , लेकिन इस का कारण सरकार की policies भी है।
if you to know more details किसान विरोध क्यों कर रहे हैं
शुरुआत से ही हमारे किसानों के लिए अच्छी policies नहीं बनाई गई, जहा बाकी देशों को बात की जाए तो उनकी गवर्नमेंट ने किसानों के लिए एक स्ट्रॉन्ग इन्फ्रास्ट्रकचर तैयार किया , प्रॉपर pricing policies बनाई। और हमारे देश मे किसानों के लिए कर्ज माफी पर घटिया politics की गई। इसी कारण से आज किसान के बच्चे खेती नहीं करना चाहते। और धीरे धीरे हमारे देश का एग्रीकल्चर गिरता जा रहा है।
ओर इसी एग्रीकल्चर को बचाने एवं किसानों की आमदनी बढ़ाने सरकार ने 3 ordinance बिल पास किए गए। इसी 3 बिल को लेकर किसान आज प्रोटेस्ट (विरोध) कर रहा है। तो क्या है ये 3 बिल ओर क्यों किसान विरोध कर रहा है?
3 बिल को जानने से पहले हम ये जान लेते है की किसान अपना पाक- अनाज कहा कहा बेच सकते है?
- Local Market यानी किसान अपने अनाज को गाव ओर कब्जे मे बेच सकते है
- APMC (AGRICULTURE PRODUCT MARKET COMMITTEE) यानी किसान अनाज को मंडी में बेच सकते है।
- MSP (MINIMAL SELLING PRICE) यानी भारत सरकार किसानों से अनाज खरीदती है।
ये policies जानकर आपको लगता होगा कि किसानों के लिए ये policies कितनी बढ़िया है , फिर भी किसान के हालात बत से बत्तर हो रहे है। तो ऐसा क्यों ?
आजादी के बाद किसान जमीदारो के exploetation से परेशान थे। जमीदार किसानों को ज़मीन ओर फसल दोनों ले लेते थे ओर ओर उसके सामने ज्यादा ब्याज पे उनको पैसे देते थे जो किसान बाद ने लौटा नहीं पाते थे ओर उनकी जमीन या फसल जमीदार ले लेते थे।
इस मुसीबत से बचाने के लिए सरकार (भारत) द्वारा APMC act लाया गया। और उसके तहत हर state मे अनाज की मंडी बनाई गई ओर किसानों को बताया गया कि आप अपना अनाज यह बेच सकते है।किसान तब उतने पढ़े लिखे नहीं थे इसलिए उनके लिए हर मंडी कुछ middle man यानी traders या बिचोलियों को रखा गया।
ये middle man किसान से अनाज खरीद लेते थे ओर बायर्स को बेच देते थे।इं middle man का काम था किसानों को उनकी फसल का सही दाम दिलाना ओर किसानों को ज्यादा से ज्यादा मुनाफा मिल पाए। इं middle man को इस काम के लिए कमीशन सेट किया गया जो उनकी income थी। ये काफी अच्छा आइडिया ओर policy लग रही थी।
अब जो सोचा वो हुआ नहीं , ये middle man जो किसान की मदद के लिए रखे थे वहीं किसान को लूटने लगे। वो किसानों से काफी सस्ते दाम में अनाज खरीद लेते थे ओर बाद मे काफी ज्यादा मुनाफा कमाते थे। आखिर मे किसान गरीब का गरीब रह गए। ओर ये ट्रेडर्स अमीर होने लगे। जिस जमीदारो से किसानों को बचाने के लिए ये APMC बनाई गई थी उसी का misuse होने लगा।
भारत में ज्यादा तर किसान APMC का ही use करता है अपने अनाज को बेचने के लिए।लगभग 84% किसान APMC का उपयोग करते है तो APMC को जो impact दिखाना चैहिए वो तो दिखा नहीं।।
इसीलिए सरकार MSP लाई ओर उसमे हर फसल का एक मिनिमम प्राइस SET किया गया। ओर सरकार directly किसान से उस price से अनाज खरीद लेती थी। यहां भी प्रोब्लेम्स आने लगी। भारत के सिर्फ 6% किसान ही इस योजना का फायदा उठा पा रहे है। ओर बाकी के किसान APMC मे ही अपना अनाज बेचते है। ओर ज्यादातर तो local market मे ही बेचते है।
MSP के फ्लॉप होने का कारण FCI (फूड कोर्पोरेशन ऑफ इंडिया) के अधिकारी है। जोकि MSP policy भी बहोत अच्छी है। सरकार सीधे बिना बिचोलियों के किसान से अनाज खरीदना चाहती थी। ओर ये अनाज सरकार गरीबों के लिए उपयोग करती थी। पर यह भी FCI के अधिकारियों ने करप्शन चालू कर दिया।
किसान जब MSP मे अनाज बेचने जाते तो एफसीआई के अधिकारी जगह नहीं है करके अनाज लेने से इंकार कर देते थे। ओर यही अधिकारी APMC से कम दाम मे अनाज खरीदकर जगह भरते ओर बीच का मुनाफा खा जाते। ओर सिर्फ 6% किसान ही MSP का use कर पाते है।
अब इस सभी समस्याओं को सुलझाने के लिए भारत सरकार किसानों के लिए 3 ओर ORDINANCE लाए जो नीचेे है
- पहले ORDINANCE के तहत किसान अपनी फसल देश में कहीं भी बेच सकता है। अब किसान के लिए अनाज बेचने के लिए कोई सीमा नहीं है। किसानों को एक फ्री मार्केट दे दिया।
- दूसरे ORDINANCE के तहत किसान कॉन्ट्रैक्ट ओर कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग भी कर सकते है। कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग यानी किसान अपने फसल का कॉन्ट्रैक्ट बीज बोने से पहले से ही कर सकते है। ओर इसके कुछ पैरामीटर्स गवर्नमेंट द्वारा सेट किए गए।
- तीसरे ORDINANCE के तहत पहले कोई भी इंसान एक लिमिट से ज्यादा अनाज का store नहीं कर सकता था पर अब सरकार ने storage limit हटा दी है। ओर सरकार ने ऑर्डिनेंस में लिखा है कि जब तब देश में जब तक कोई बड़ी आपत्ति नहीं आती तब तक कोई storage limit नहीं है।
Farmers' Produce Trade and Commerce (Promotion and Facilitation) Act, 2020 | expands the scope of trade areas of farmers produce from select areas to "any place of production, collection, aggregation". allows electronic trading and e-commerce of scheduled farmers' produce. prohibits state governments from levying any market fee, cess or levy on farmers, traders, and electronic trading platforms for trade of farmers’ produce conducted in an ‘outside trade area’. |
Farmers (Empowerment and Protection) Agreement on Price Assurance and Farm Services Act, 2020 | provides a legal framework for farmers to enter into pre-arranged contracts with buyers including mention of pricing. defines a dispute resolution mechanism. |
Essential Commodities (Amendment) Act, 2020 | removes foodstuff such as cereals, pulses, potato, onions, edible oilseeds and oils, from the list of essential commodities, removing stockholding limits on such items except under "extraordinary circumstances" requires that imposition of any stock limit on agricultural produce be based on price rise |
अब ordinance तो अच्छे दिख रहे है फिर भी किसान प्रोटेस्ट क्यों कर रहे है?
देखो पहले एक स्टोरेज लिमिट थी लेकिन अब वो नहीं रही। तो किसानों को डर ये है कि सरकार धीरे धीरे MSP को खतम करना चाहती है लेकिन इसके जवाब में सरकार ने भी साफ कहा है कि MSP ख़तम नहीं होगी। वो पहले के जैसे चालू ही रहेगी।
MSP ओर APMC दोनों ऑप्शन के साथ ये एक ओर ऑप्शन जुड़ जाएगा। वैसे MSP के लिए सिर्फ वो 6% किसान ही परेशान है जो इसका फायदा उठा पाते है।
अब एक आंकड़े के अनुसार MSP का सबसे ज्यादा use पंजाब ओर हरियाणा के किसान (91-93%) करते है। पिछले साल कुछ ४५००० करोड़ रूपए के अनाज मे ४१००० करोड़ से ज्यादा रूपए का अनाज इं दोनों स्टेटस के किसानों का था। तो आपको अब समझ आया होगा कि सबसे ज्यादा विरोध ये राज्यों के किसान क्यों कर रहे है?
दूसरे ऑर्डिनेंस से किसान को ये डर है कि कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के आड़ में कंपनीज़ किसानों की जमीन ना हड़प ले...लेकिन सरकार ने कहा की कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग मे भी गवर्नमेंट के कुछ rule regulation ओर parameters है जिसमे किसानों का पूरा ध्यान रखा जाएगा। ओर ये किसान के पर है कि वो किसी कंपनीज के साथ कॉन्ट्रैक्ट करना चाहती है या नहीं.. ये पूरा हक़ किसान को दिया गया है। अगर कंपनीज किसान के साथ कुछ ग़लत करती है तो उस कंपनी के खिलाफ सरकार पैनल्टी लगाएगी।
किसान का एक ओर डर के APMC हटा दी जाएगी? लेकिन यहां इस ऑर्डिनेंस मे ओर सरकार के कहे अनुसार कुछ हटाया नहीं जा रहा लेकिन किसानों को कुछ ओर रास्ते दिए जा रहे है।
अब यह सरकार सिर्फ किसान को ओपन फ्री मार्केट देना चाहती है APMC या MSP कुछ हटाया नहीं है। लेकिन यह कुछ लोग किसानों को भड़का रहे है ओर ऑपोजीसन पार्टी किसानों के साथ खड़ी है। तो देखो रीडर्स ऑपोजीसन्स का तो काम है रूलिंग पार्टी के हर फैसले के खिलाफ बोलना,,चाहे वो अच्छा हो या बुरा... यह वो सिर्फ अपनी घटिया politics कर रहे है। वो २०१९ मे खुद ये बिल लाना चाहती थी पर अब सत्ता मे नहीं है तो विरोध करेगी। ये सब ना हो इसके लिए सरकार को स्मॉल टाउन से शुरू करना पड़ेगा। किसानों को समझना पड़ेगा।
तो दोस्तो मेरे खयाल से आपको अब समझ आया होगा कि ये बिल क्या है ? क्यों विरोध किया जा रहा है? आपकी इसमें क्या राय है हमे कॉमेंट करके जरूर बताएं।
धन्यवाद
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